प्रमुख योगदान
उन्होंने हिंदी साहित्य को नई दिशा देने में अमूल्य योगदान दिया।
उनके संपादन में ‘माधुरी’ और ‘सुधा’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाएँ नई ऊँचाइयों तक पहुँचीं।उन्हें लखनऊ की हिंदी पत्रकारिता का पितामह कहा जाता है।उन्होंने शिक्षा और साहित्य के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाई।
नई पीढ़ी को हिंदी भाषा और संस्कृति से जोड़ने का संकल्प लिया।
गौरवशाली विरासत
उनकी प्रेरणा से उनके भतीजे स्वर्गीय राजकुमार भार्गव जी ने
प्रकाशन क्षेत्र को नई दिशा दी और राष्ट्रीय प्रकाशन मंडल की स्थापना में योगदान दिया,जिसके माध्यम से बिहार एवं झारखंड की पुस्तकालयों में साहित्यिक पुस्तकों की आपूर्ति की जाती थी। इस कार्य में उनकी धर्मपत्नी स्वर्गीय प्रेम लता भार्गव जी,जो बिहार की प्रथम महिला उद्यमी के रूप में जानी जाती हैं, उन्होंने ने अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके निर्धन के उपरांत राजीव भार्गव जी अनुभवी शिक्षाविद् और समाजसेवी हैं। वे चिल्ड्रेन बुक सेंटर और टेंडर हार्ट्स इंटरनेशनल स्कूल, पटना के डायरेक्टर हैं। उन्होंने शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उन्होंने ने इस गौरवशाली विरासत को निरंतर आगे बढ़ाया ।
उन्होंने पटना सहित बिहार–झारखंड के कई मिशन स्कूलों —
जमशेदपुर, देवघर, सेंट फ्रांसिस, गिरिडीह, मुज़फ्फरपुर आदि —
में पुस्तकों की आपूर्ति और पठन-संस्कृति को निरंतर आगे बढ़ाया।